क्यों चलें इस रस्ते ?
क्या होगा इसके आगे?
कहाँ तक ले जाएगी किस्मत
मेहनत करके हम सब भागे
मंज़िल दूर नहीं पर रुकना सज़ा है
मंज़िल दूर नहीं पर रुकना सज़ा है
सच बोलें तो इसी दौड़ मैं असली मज़ा है
और जब मिलेगी तुम्हारी मंज़िल तुम्हे-
दिल मैं राहत और मन मैं मुस्कराहट होगी
दिल मैं राहत और मन मैं मुस्कराहट होगी
लेकिन,
सामने एक नयी दौड़ खड़ी चुनौती देगी
फिर मन मैं बंधेंगे ये धागे
क्यों चले इस रस्ते ?
क्या होगा इसके आगे?
Very intriguing!! Well said
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Nice
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